Naromurar Digital Gurukul
न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते। गीता 4,38 On 21st Nov 2015, Naromurar Digital Gurukul started by Naromurar Sevak Sangh with a common motive to make Naromurar Shiksha Gram.
Gurukul Sections and SyllabusGanesh Shreni - Std. IV, V (NCERT Maths)Vidyapati Shreni - Std. VI, VII (NCERT Maths, Science, SSc)Aryabhat Shreni - Std. VIII, IX (NCERT Maths, Science, SSc)Matric Shreni - Std. X (NCERT/SCERT Maths, Science, SSc, Hindi, Sanskrit, English)
GURUKUL ADMISSION 2018:Submit student details here
Gurukul Admission form is to be filled only by Naromurar Sevak Sangh Authorized personals assigned to facilitate the Gurukul Admission process.
Page is under Development....
Prayer before Gurukul Session -वही बुलाते सरस्वती को | दिव्य गुणों की इच्छा जिनको ||यज्ञ अहिंसक जो अपनाते | माँ की शरण वही पा जाते ||सुन्दर कर्म जगत में करते | वही मातृ महिमा कह सकते ||माँ का भक्त हुआ जो करता | श्रेष्ठ वस्तुओं से जग भरता ||हे सरस्वती माँ आ जाओ | हमको पद पद दिव्य बनाओ ||देवी आओ यज्ञ हवन में | आओ देवी हृदय सदन में ||हमने उत्तम गुण को साधा | तुमको देवी तभी आराधा ||अपना भक्त बनाओ हमको | सुगम सुपथ दिखलाओ हमको ||हे मेरी माता सरस्वती | हो तुम्हीं सभी विज्ञानवती ||पितर रहे हैं तुम्हें पूजते |श्रेष्ठ कर्म ही जिन्हें सूझते ||हम भी हैं तेरे अनुयायी | हो हम पर भी करुणा माई ||माँ तेरी सहस्त्र विद्दायें | कुछ हमको भी माँ मिल जायें || प्यारी मातु सरस्वती, तुम्हें करूँ प्रणिपात |मानस निशा हटाय के, कर दो दिव्य प्रभात ||
Prayer is Bhawarth of Sarswati Stuti by Devnarayan Bhardwaj found mention in Rig Veda, 10th Mandala, 17th Sukti -
सरस्वतीं देवयन्तो हवन्ते सरस्वतीमध्वरे तायमाने |सरस्वतीं सुक्र्तो अह्वयन्त सरस्वती दाशुषे वार्यं दात ||
सरस्वति या सरथं ययथ सवधाभिर्देवि पित्र्भिर्मदन्ती | आसद्यास्मिन बर्हिषि मादयस्वानमीवा इष आधेह्यस्मे ||
सरस्वतीं यां पितरो हवन्ते दक्षिणा यज्ञमभिनक्षमाणाः | सहस्रार्घमिळो अत्र भागं रायस्पोषं यजमानेषु धेहि ||
Preamble after Gurukul Prayer - हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को : सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढाने के लिए दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ई0 को एतदद्वाराइस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।